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मंगल देव को सकारात्मक करने का उपाय

!! मंगल देव के कारक तत्व !!
मंगल ग्रह को ज्योतिष में ऊर्जा, साहस, आत्मविश्वास, पराक्रम और शक्ति का कारक माना जाता है। यह ग्रह व्यक्ति के जीवन में संघर्ष, भूमि, संपत्ति, भाई-बहन, विवाह, साहसिक कार्य, नेतृत्व क्षमता और सैन्य क्षेत्र को प्रभावित करता है। मंगल का शुभ प्रभाव व्यक्ति को ऊर्जावान, साहसी और दृढ़निश्चयी बनाता है, जबकि अशुभ स्थिति में यह आक्रामकता, दुर्घटनाओं और विवादों का कारण बन सकता है।
मंगल के कारक तत्व:
ऊर्जा और पराक्रम
साहस और आत्मविश्वास
भूमि और संपत्ति
भाई-बहन
रक्त, मांसपेशियां
सैन्य क्षेत्र, पुलिस और खेल

!! मंगल को सकारात्मक करने के उपाय !!
अगर आपकी कुंडली में मंगल अशुभ स्थिति में है, तो नीचे दिए गए उपायों को करने से इसके नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है:

  1. हनुमान जी की उपासना
    मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करें।
    हनुमान मंदिर में जाकर राम-नाम का जाप करें।
    बजरंग बली को गुड़ और चने का भोग लगाएं।
  2. हनुमान जी के मंदिर अवश्य जाएं
    हर मंगलवार हनुमान जी के मंदिर अवश्य जाएं
  3. लाल वस्त्र और लाल रंग के उपहार दें
    जरूरतमंदों को लाल वस्त्र, मसूर की दाल, लाल फूल, और तांबे का दान करें। लेकिन मंगल देव कुंडली में मारक होने चाहिए तब ही आपको दान करना है अन्यथा सकारात्मक मंगल देव का दान करने से आपको नेगेटिव रिजल्ट मिलेंगे
  4. भातृ प्रेम बढ़ाएं
    अपने भाई-बहनों के साथ अच्छे संबंध बनाएं और उनकी सहायता करें।
  5. दान और सेवा
    मंगलवार के दिन मसूर की दाल, गुड़, तांबे के बर्तन, लाल कपड़े, और रक्तदान करें। पर मंगल देव कुंडली में नेगेटिव होने चाहिए यह बात अवश्य ध्यान रखें
  6. रुद्राक्ष धारण करें
    तीन मुखी या 11 मुखी रुद्राक्ष धारण करना मंगल ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को कम करता है।
  7. मंगल मंत्र का जाप करें
    मंगल के बीज मंत्र का नियमित जाप करें:“ ॐ अंग अंगारकाय नमः” प्रतिदिन 108 बार इस मंत्र का जाप करने से मंगल के प्रभाव में सुधार होता है।
  8. योग और ध्यान
    क्रोध को नियंत्रित करने के लिए ध्यान और प्राणायाम करें।
    शारीरिक गतिविधियों में भाग लें, जैसे दौड़ना, व्यायाम करना आदि।

लाल मूंगा (Coral) धारण करें
मंगल देव कुंडली में अगर कमजोर है तो आप मूंगा रत्न धारण कर सकते हैं लेकिन मंगल देव सकारात्मक होने चाहिए अगर नकारात्मक है और अपने मूंगा रत्न धारण कर लिया तो आपको और अधिक नकारात्मक परिणाम मिलेंगे
इन उपायों से मंगल ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को कम कर जीवन में सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है।

ASTROLOGER AMIT KUDWAL

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चंद्र देव को सकारात्मक करने के उपाय

चंद्र ग्रह मन और भावनाओं का कारक है। यदि कुंडली में चंद्र कमजोर हो तो मानसिक तनाव, अस्थिरता, भय, चिंता और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। चंद्र देव को मजबूत और सकारात्मक करने के लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं:

1. माता की सेवा करें
माता की सेवा करने से चंद्र देव की स्थिति बहुत अच्छी हो जाती है

2.  दान

चंद्र को प्रसन्न करने के लिए जरूरतमंदों को सफेद चीजों जैसे चावल, दूध, चीनी और सफेद कपड़े दान करें पर यह देखना जरूरी है की कुंडली में चंद्र देव मारक होने चाहिए तब ही दान करना है

3. सफेद चीजों का सेवन

अपने आहार में सफेद चीजें जैसे दूध, दही, चावल, खीर आदि शामिल करें। इससे चंद्रमा को बल मिलता है।

4. सोमवार का व्रत

प्रत्येक सोमवार का व्रत रखें और भगवान शिव की पूजा करें। चंद्रमा शिव के मस्तक पर सुशोभित हैं, इसलिए शिव पूजा से चंद्र देव का भी आशीर्वाद मिलता है।

5. मोती रत्न धारण करना

यदि ज्योतिषी सलाह दें, तो चांदी में जड़ित मोती (पर्ल) रत्न धारण करें। यह चंद्र ग्रह को मजबूत करता है। लेकिन कुंडली में चंद्र देव सकारात्मक होने बहुत जरूरी है अगर मार्क होने पर अपने चंद्र देव का रत्न धारण कर लिया तो उल्टे परिणाम मिलेंगे आपको

6. शिवलिंग पर दूध अर्पित करें

सोमवार के दिन शिवलिंग पर दूध और जल अर्पित करें। इससे चंद्र दोष कम होता है।

7. श्री चंद्र मंत्र का जाप

प्रतिदिन निम्न मंत्र का जाप करें:
👉 ओमसोम सोमैया नमः
इस मंत्र का 108 बार जाप करने से चंद्र का शुभ प्रभाव मिलता है।

चंद्र देव के कारक तत्व

चंद्रमा विभिन्न चीजों और भावों का कारक है। ये तत्व हैं:

कारक तत्वविवरणमन और भावनाएंमानसिक शांति, विचारों की स्थिरतामातामां के प्रति प्रेम और संबंधजल तत्वसमुद्र, नदियां, झीलेंद्रव्य पदार्थदूध, चावल, सफेद कपड़ेस्वास्थ्यफेफड़े, दिमाग, आंखेंरिश्तेमाता-पिता और परिवार के साथ संबंधरत्नमोती (पर्ल)

चंद्र ग्रह को मजबूत करने से जीवन में शांति, मानसिक स्थिरता और स्वास्थ्य में सुधार होता है और धन का भी आगमन होता है क्योंकि वह दूसरे नंबर की राशि  में उच्च के हो जाते हैं

जन्म कुंडली के फायदे

जन्म कुंडली के फायदे:

जीवन की दिशा तय करना:
जन्म कुंडली व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं, जैसे करियर, विवाह, शिक्षा, और स्वास्थ्य के बारे में मार्गदर्शन देती है।

संभावित समस्याओं का पूर्वानुमान:
कुंडली से भविष्य में आने वाली कठिनाइयों और समस्याओं का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है, जिससे उनके समाधान की योजना बनाई जा सके।

सही निर्णय लेने में मदद:
कुंडली का अध्ययन कर महत्वपूर्ण निर्णय, जैसे विवाह का समय, नौकरी बदलना, या निवेश करना, सही समय पर लिया जा सकता है।

ग्रह-नक्षत्रों के प्रभाव को समझना:
कुंडली के माध्यम से यह समझा जा सकता है कि ग्रह और नक्षत्र किसी व्यक्ति के जीवन को कैसे प्रभावित कर रहे हैं।

शुभ समय का चयन:
कुंडली के आधार पर शुभ मुहूर्त (जैसे विवाह, नामकरण, या गृह प्रवेश) का चयन किया जा सकता है।

स्वास्थ्य का विश्लेषण:
कुंडली से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का अनुमान लगाया जा सकता है और उनके समाधान के लिए उपाय सुझाए जा सकते हैं।

संबंध सुधारने में मदद:
जन्म कुंडली से रिश्तों की समस्याओं को समझकर उन्हें सुधारने के उपाय किए जा सकते हैं।

आध्यात्मिक विकास:
कुंडली व्यक्ति को आत्म-जागरूकता और आध्यात्मिक विकास में मदद करती है।

शांति और संतुलन प्राप्त करना:
ग्रहों की स्थिति के अनुसार उपाय (जैसे मंत्र, रत्न, या यज्ञ) करके जीवन में शांति और संतुलन लाया जा सकता है।

जन्म कुंडली व्यक्ति के जीवन का नक्शा है, जो उसे आत्मविश्वास और स्पष्टता प्रदान करता है।

Astrologer Amit Kudwal
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ग्रहो के अस्त होने की गणना

गुरु देव और सूर्य देव का डिग्री डिफ्रेंस 11 डिग्री के अंदर है तो गुरु देव सूर्य देव से अस्त माने जाते है

बुध देव और सूर्य देव का डिग्री डिफ्रेंस 13 डिग्री के अंदर है तो बुध देव सूर्य देव से अस्त माने जाते है

मंगल देव और सूर्य देव का डिग्री डिफ्रेंस 17 डिग्री के अंदर है तो मंगल देव सूर्य देव से अस्त माने जाते है

शुक्र देव और सूर्य देव का डिग्री डिफ्रेंस 9 डिग्री के अंदर है तो शुक्र देव सूर्य देव से अस्त माने जाते है

शनि देव और सूर्य देव का डिग्री डिफ्रेंस 15 डिग्री के अंदर है तो शनि देव सूर्य देव से अस्त माने जाते है

चंद्र देव और सूर्य देव का डिग्री डिफ्रेंस 11 डिग्री के अंदर है तो चंद्र देव सूर्य देव से अस्त माने जाते है

राहु देव और केतु देव अस्त नहीं होते है अपितु सूर्य देव पर ही ग्रहण लगा देते हे नजदीक आने पर

ज्योतिष एक विज्ञानं

ज्योतिष एक विज्ञानं है , हम अगर ज्योतिष शास्त्र की स्टडी करेंगे तो हमे पता चल जाएगा की हज़ारो सालो पहले हमारे ऋषि मुनियो ने सभी ग्रहो की दूरी , उनकी चाल और तो और हर प्रकार के ग्रहण की गणना बिलकुल सटीक कर ली थी जब की आज भी हम अपनी आँखों से ग्रहो को नहीं देख सकते है , उसके लिए टेलिस्कोप की आवश्यकता है और टेलिस्कोप का अविष्कार तो सोलवी सदी में हुआ है ,और हमारे पंचांग जो ग्रहण का समय बताते है और जो नासा द्वारा ग्रहण का समय बताया जाता है उसमे तनिक भी अंतर नहीं है।

Astrology is a science, if we study astrology, then we will know that thousands of years ago our RishiMuni had calculated the distance of all the planets, their speed and all types of eclipses very accurately, while even today we can not see the planets with our eyes. For that, the telescope is needed and the telescope has been invented in the 16 century, and there is no difference between our almanacs that tell the time of the eclipse and the time of the eclipse told by NASA.

अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने का काम

ज्यादा तर मैने देखा है कि लोग गलत रत्न धारण कर लेते है क्यों की उन्हें सही जानकारी नहीं होती या फिर वह किसी कम जानकर को कुंडली दिखा कर उनके बताए रत्न धारण कर लेते है और फिर नकारात्मक गृह कि ऊर्जा बढ़ाकर खुद ही अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने का काम करते है
वैसे तो यह भी दशा के कारन होता है कि आपको सही राय देने वाला मिलेगा भी या नहीं पर यहां पर ही काम आता है हमारा ज्ञान हमारी शिक्षा हमारे द्वारा किये गए पुण्य कर्म , हमारे द्वारा की गई ईश्वर कि पूजा , इन्ही सत कर्मो से हमे बुरी दिशा में सही परामर्श देने वाला मिलता है और हम उस बुरे दौर से अपने आपको बचा पाते है।

रुद्राक्ष के लाभ और रुद्राक्ष धारण विधि

|| रुद्राक्ष के लाभ ||
(1). रुद्राक्ष धारण करने से नजर दोष से बचाव होता है
(2). रुद्राक्ष धारण करने से मन स्थिर रहता है
(3). रुद्राक्ष धारण करने से शिव भगवान का विशेष आशीष प्राप्त होता है
(4). रुद्राक्ष धारण करने से रक्तचाप संतुलित रहता है
(5). रुद्राक्ष धारण करने से सुरक्षा चक्र बना रहता है कोई दुर्घटना नहीं होती है
(6). रुद्राक्ष धारण करने से सोच सकारात्मक रहती है
(7). रुद्राक्ष धारण करने से रुद्राक्ष धारण करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है
(8). रुद्राक्ष धारण करने से चिंता और तनाव से मुक्ति मिलती है
(9). रुद्राक्ष धारण करने से आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है
(10). रुद्राक्ष धारण करने से स्मरण शक्ति बढ़ती है
(11). रुद्राक्ष धारण करने से यह सभी लाभ तो रुद्राक्ष के आपको प्राप्त होंगे ही , साथ ही वह गृह भी सकारात्मक हो जाएगा जिस गृह का आप रुद्राक्ष धारण कर रहे है।

 || Rudraksha ke Labh ||

(1). Nazar dosh se bachav hota he.
(2). Mann Isthir rahta he .
(3). Shiv bhgwan ka vishesh ashiwad prapt hota he.
(4). Rakt-chap santulit rahta he.
(5). Suraksha Chakra bna rhta he , koi durghtna nhi hoti .
(6). soch sakaratmak rahti he.
(7). rog prati-rodhak shamta badhti he.
(8). Chinta or tanav se mukti milti he.
(9). Adhyatmik Gyan prapt hota he .
(10).ismaran shakti badti he .
(11).yha sbhi labh to apko prapt honge hi , sath hi vha grah bhi sakaratmak ho jaega jis grah ka ap rudraksha dharan kr rhe he .

 || Benefits of Rudraksha ||

(1). Wearing rudraksha prevents Nazar Dosh.
(2). Wearing rudraksha keeps the mind stable.
(3). Wearing rudraksha brings special blessings to Lord Shiva.
(4). Wearing rudraksha keeps blood pressure balanced.
(5). Wearing rudraksha maintains a safety and keep safe from accident.
(6). Wearing rudraksha keeps thinking positive .
(7). Wearing rudraksha increases immunity .
(8). Wearing rudraksha relieves anxiety and stress.
(9). Wearing rudraksha leads to spiritual knowledge.
(10).Wearing rudraksha increases memory.
(11).Wearing rudraksha will not only benefit you from Rudraksha but also the house you are wearing rudraksha will be positive.

             || रुद्राक्ष धारण विधि ||

(1). रुद्राक्ष शुक्ल पक्ष के किसी भी सोमवार को ही धारण करे।
(2). रुद्राक्ष शुक्ल पक्ष के सोमवार के शुभ चौघड़िया में धारण करे।
(3). रुद्राक्ष धारण करने से पहले उसे कच्चे दूध और गंगाजल में से डुबो कर निकाल ले और किसी अच्छे कपडे से उसे साफ कर ले।
(4). उलटे हाथ में रुद्राक्ष या रुद्राक्ष की माला को रख कर दुसरे हाथ से किसी माला से 108 बार ” ॐ नमः शिवाय ” मंत्र का जाप करे।
(5). और फिर रुद्राक्ष को धारण कर लीजिए।

 || Rudraksha Dharan Vidhi || 

(1). Rudraksha Shukla Paksh ke Somvar ko dharan kre |
(2). rudraksha ko shukla pksh ke somvar ke shubh choghadiya me dharan kre |
(3). Rudraksha dharan krne se phle use kacche doodh or gangajal me dubo kr baahar nikal le or kisi acche kapde se use saf kr le |
(4). ulte hath me rudraksha ko ya rudraksha mala ko rkh kr doosre hath se kisi mala se ” Om Namah Shivaya ” mantra ka jap kre 108 Baar |
(5). or fir rudraksha ko dharan kr lijiye |

 || Rudraksha wearing method ||

(1). Rudraksha should be worn on any Monday of shukla paksh.
(2). Rudraksha should be worn in the auspicious Choughariya of Monday.
(3). Before wearing rudraksha, dip it in raw milk and Gangajal and clean it with a good cloth.
(4). Put the rudraksha or rudraksha garland in the left hand and chant the mantra
“Om Namah Shivaya” 108 times with a Mala with the other hand
(5). And then wear rudraksha.

रुद्राक्ष धारण विधि


1. रुद्राक्ष शुक्ल पक्ष के किसी भी सोमवार को ही धारण करे।
2. रुद्राक्ष शुक्ल पक्ष के सोमवार के शुभ चौघड़िया में धारण करे।
3. रुद्राक्ष धारण करने से पहले उसे कच्चे दूध और गंगाजल में से डुबो कर निकाल ले और किसी अच्छे कपडे से उसे साफ कर ले।
4. फिर उलटे हाथ में रुद्राक्ष या रुद्राक्ष की माला को रख कर दुसरे हाथ से किसी माला से 108 बार ” ॐ नमः शिवाय ” मंत्र का जाप करे।
5. और फिर रुद्राक्ष को धारण कर लीजिए।

MOON STONE GEMSTONE ( चंद्र मणि रत्न ) का प्रयोगशाला (LAB) परिक्षण

MOON STONE GEMSTONE ( चंद्र मणि रत्न ) को जब सूक्ष्मदर्शी से देखा जाता है तो कुछ इस तरह की संगरचना उसके अंदर दिखाई देती है जो फोटो में दिखाई गई है , वैसे तो रत्न की ग्रेविटी और रिफ्रैक्शन भी चेक किया जाता है और उससे भी पता लगाया जाता है कि रत्न ओरिजिनल है की नहीं।
रत्न के परिक्षण के समय पर उसकी बनावट , कटिंग , और उसके आकर पर भी ध्यान दिया जाता है।
रत्न दिखने में जितना सूंदर होगा उसकी कीमत उतनी ही बढ़ती जाएगी , और लैब रिपोर्ट से यह तो पता लगाया जा सकता है की रत्न ओरिजिनल हे कि नहीं पर उसकी कीमत उसका मालिक या एक जोहरी ही लगाता है।

रत्न परिक्षण

रत्न परिक्षण के समय पर रिफ्रेक्टोमीटर का उपयोग किया जाता है इससे रत्न के रिफ्रैक्शन पता चल जाता है और हम बोहोत ही आसान तरीके से गड़ना करके यह बता सकते है की रत्न असली हे भी या नहीं क्यों हर रत्न का रिफ्रैक्शन अलग अलग होता है