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ग्रहो के अस्त होने की गणना

गुरु देव और सूर्य देव का डिग्री डिफ्रेंस 11 डिग्री के अंदर है तो गुरु देव सूर्य देव से अस्त माने जाते है

बुध देव और सूर्य देव का डिग्री डिफ्रेंस 13 डिग्री के अंदर है तो बुध देव सूर्य देव से अस्त माने जाते है

मंगल देव और सूर्य देव का डिग्री डिफ्रेंस 17 डिग्री के अंदर है तो मंगल देव सूर्य देव से अस्त माने जाते है

शुक्र देव और सूर्य देव का डिग्री डिफ्रेंस 9 डिग्री के अंदर है तो शुक्र देव सूर्य देव से अस्त माने जाते है

शनि देव और सूर्य देव का डिग्री डिफ्रेंस 15 डिग्री के अंदर है तो शनि देव सूर्य देव से अस्त माने जाते है

चंद्र देव और सूर्य देव का डिग्री डिफ्रेंस 11 डिग्री के अंदर है तो चंद्र देव सूर्य देव से अस्त माने जाते है

राहु देव और केतु देव अस्त नहीं होते है अपितु सूर्य देव पर ही ग्रहण लगा देते हे नजदीक आने पर

ज्योतिष एक विज्ञानं

ज्योतिष एक विज्ञानं है , हम अगर ज्योतिष शास्त्र की स्टडी करेंगे तो हमे पता चल जाएगा की हज़ारो सालो पहले हमारे ऋषि मुनियो ने सभी ग्रहो की दूरी , उनकी चाल और तो और हर प्रकार के ग्रहण की गणना बिलकुल सटीक कर ली थी जब की आज भी हम अपनी आँखों से ग्रहो को नहीं देख सकते है , उसके लिए टेलिस्कोप की आवश्यकता है और टेलिस्कोप का अविष्कार तो सोलवी सदी में हुआ है ,और हमारे पंचांग जो ग्रहण का समय बताते है और जो नासा द्वारा ग्रहण का समय बताया जाता है उसमे तनिक भी अंतर नहीं है।

Astrology is a science, if we study astrology, then we will know that thousands of years ago our RishiMuni had calculated the distance of all the planets, their speed and all types of eclipses very accurately, while even today we can not see the planets with our eyes. For that, the telescope is needed and the telescope has been invented in the 16 century, and there is no difference between our almanacs that tell the time of the eclipse and the time of the eclipse told by NASA.

अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने का काम

ज्यादा तर मैने देखा है कि लोग गलत रत्न धारण कर लेते है क्यों की उन्हें सही जानकारी नहीं होती या फिर वह किसी कम जानकर को कुंडली दिखा कर उनके बताए रत्न धारण कर लेते है और फिर नकारात्मक गृह कि ऊर्जा बढ़ाकर खुद ही अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने का काम करते है
वैसे तो यह भी दशा के कारन होता है कि आपको सही राय देने वाला मिलेगा भी या नहीं पर यहां पर ही काम आता है हमारा ज्ञान हमारी शिक्षा हमारे द्वारा किये गए पुण्य कर्म , हमारे द्वारा की गई ईश्वर कि पूजा , इन्ही सत कर्मो से हमे बुरी दिशा में सही परामर्श देने वाला मिलता है और हम उस बुरे दौर से अपने आपको बचा पाते है।

रुद्राक्ष के लाभ और रुद्राक्ष धारण विधि

|| रुद्राक्ष के लाभ ||
(1). रुद्राक्ष धारण करने से नजर दोष से बचाव होता है
(2). रुद्राक्ष धारण करने से मन स्थिर रहता है
(3). रुद्राक्ष धारण करने से शिव भगवान का विशेष आशीष प्राप्त होता है
(4). रुद्राक्ष धारण करने से रक्तचाप संतुलित रहता है
(5). रुद्राक्ष धारण करने से सुरक्षा चक्र बना रहता है कोई दुर्घटना नहीं होती है
(6). रुद्राक्ष धारण करने से सोच सकारात्मक रहती है
(7). रुद्राक्ष धारण करने से रुद्राक्ष धारण करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है
(8). रुद्राक्ष धारण करने से चिंता और तनाव से मुक्ति मिलती है
(9). रुद्राक्ष धारण करने से आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है
(10). रुद्राक्ष धारण करने से स्मरण शक्ति बढ़ती है
(11). रुद्राक्ष धारण करने से यह सभी लाभ तो रुद्राक्ष के आपको प्राप्त होंगे ही , साथ ही वह गृह भी सकारात्मक हो जाएगा जिस गृह का आप रुद्राक्ष धारण कर रहे है।

 || Rudraksha ke Labh ||

(1). Nazar dosh se bachav hota he.
(2). Mann Isthir rahta he .
(3). Shiv bhgwan ka vishesh ashiwad prapt hota he.
(4). Rakt-chap santulit rahta he.
(5). Suraksha Chakra bna rhta he , koi durghtna nhi hoti .
(6). soch sakaratmak rahti he.
(7). rog prati-rodhak shamta badhti he.
(8). Chinta or tanav se mukti milti he.
(9). Adhyatmik Gyan prapt hota he .
(10).ismaran shakti badti he .
(11).yha sbhi labh to apko prapt honge hi , sath hi vha grah bhi sakaratmak ho jaega jis grah ka ap rudraksha dharan kr rhe he .

 || Benefits of Rudraksha ||

(1). Wearing rudraksha prevents Nazar Dosh.
(2). Wearing rudraksha keeps the mind stable.
(3). Wearing rudraksha brings special blessings to Lord Shiva.
(4). Wearing rudraksha keeps blood pressure balanced.
(5). Wearing rudraksha maintains a safety and keep safe from accident.
(6). Wearing rudraksha keeps thinking positive .
(7). Wearing rudraksha increases immunity .
(8). Wearing rudraksha relieves anxiety and stress.
(9). Wearing rudraksha leads to spiritual knowledge.
(10).Wearing rudraksha increases memory.
(11).Wearing rudraksha will not only benefit you from Rudraksha but also the house you are wearing rudraksha will be positive.

             || रुद्राक्ष धारण विधि ||

(1). रुद्राक्ष शुक्ल पक्ष के किसी भी सोमवार को ही धारण करे।
(2). रुद्राक्ष शुक्ल पक्ष के सोमवार के शुभ चौघड़िया में धारण करे।
(3). रुद्राक्ष धारण करने से पहले उसे कच्चे दूध और गंगाजल में से डुबो कर निकाल ले और किसी अच्छे कपडे से उसे साफ कर ले।
(4). उलटे हाथ में रुद्राक्ष या रुद्राक्ष की माला को रख कर दुसरे हाथ से किसी माला से 108 बार ” ॐ नमः शिवाय ” मंत्र का जाप करे।
(5). और फिर रुद्राक्ष को धारण कर लीजिए।

 || Rudraksha Dharan Vidhi || 

(1). Rudraksha Shukla Paksh ke Somvar ko dharan kre |
(2). rudraksha ko shukla pksh ke somvar ke shubh choghadiya me dharan kre |
(3). Rudraksha dharan krne se phle use kacche doodh or gangajal me dubo kr baahar nikal le or kisi acche kapde se use saf kr le |
(4). ulte hath me rudraksha ko ya rudraksha mala ko rkh kr doosre hath se kisi mala se ” Om Namah Shivaya ” mantra ka jap kre 108 Baar |
(5). or fir rudraksha ko dharan kr lijiye |

 || Rudraksha wearing method ||

(1). Rudraksha should be worn on any Monday of shukla paksh.
(2). Rudraksha should be worn in the auspicious Choughariya of Monday.
(3). Before wearing rudraksha, dip it in raw milk and Gangajal and clean it with a good cloth.
(4). Put the rudraksha or rudraksha garland in the left hand and chant the mantra
“Om Namah Shivaya” 108 times with a Mala with the other hand
(5). And then wear rudraksha.

रुद्राक्ष धारण विधि


1. रुद्राक्ष शुक्ल पक्ष के किसी भी सोमवार को ही धारण करे।
2. रुद्राक्ष शुक्ल पक्ष के सोमवार के शुभ चौघड़िया में धारण करे।
3. रुद्राक्ष धारण करने से पहले उसे कच्चे दूध और गंगाजल में से डुबो कर निकाल ले और किसी अच्छे कपडे से उसे साफ कर ले।
4. फिर उलटे हाथ में रुद्राक्ष या रुद्राक्ष की माला को रख कर दुसरे हाथ से किसी माला से 108 बार ” ॐ नमः शिवाय ” मंत्र का जाप करे।
5. और फिर रुद्राक्ष को धारण कर लीजिए।

ग्रहो की दशा का समय और उनके नक्षत्र

Sr. No. गृहवर्षनक्षत्र 
1केतु07 वर्षमघामूला  अश्विनी
2शुक्र20 वर्षपूर्वा फाल्गुणी पूर्वा आषाढा  भरणी
3सूर्य6 वर्षकृ्तिकाउतरा फाल्गुणी  उतरा आषाढा
4चन्द्र10 वर्षरोहिणीहस्त श्रवण
5मंगल07 वर्षमृ्गशिरा चित्राघनिष्ठा
6राहू18 वर्षआद्रास्वाति शतभिषा
7गुरु16 वर्षपुनर्वसु विशाखापूर्व भाद्रपद
8शनि19 वर्षपुष्यअनुराधाउतरा भाद्रपद
9बुध17 वर्षआश्लेषाज्येष्ठारेवती

गज केसरी राजयोग

यह एक बोहोत ही अच्छा राजयोग है, जब कुंडली में बृहस्पति देव और चंद्र देव युति बनाकर साथ में बैठे हो या फिर एक दुसरे को सातवीं दृस्टि से देख रहे हो तो यह राजयोग बनता है , इस राजयोग में राजा के समान सभी सुख सुविधा जातक को मिलती है और मान सम्मान मिलता है , यह राजयोग हाथी के समान बल और शेर की तरह फुर्ती जातक में देता है और इस राजयोग से जातक के अंदर काम को करने की एक अलग ही कला होती है जिस के दम पर वह उचाईयो को प्राप्त करता है
पर इस राजयोग के कुंडली में दिखने मात्रा से ही खुश नहीं होना है , यह बी देखना ही के चंद्र देव और बृहस्पति देव सही घर में बैठे हो और कमजोर इस्थिति में ना हो , तब ही हमे इस राजयोग के पूर्ण फल प्राप्त हो पाएंगे।
ग्रहो की कमजोर इस्थिति में उनके रत्न और रुद्राक्ष के द्वारा ग्रहो का बल बढ़ाया जा सकता है जिससे हमे अधिक से अधिक फल प्राप्त हो सके इस राजयोग के।

बुध आदित्य राजयोग

बुध आदित्य राजयोग सूर्य देव और बुध देव की युति से बनता है पर यह राजयोग आपको अच्छे परिणाम तब ही देगा जब बुध देव अस्त ना हो क्योकि सूर्य देव के पास कोई गृह ज्यादा आ जाए तो सूर्य देव उस गृह को अस्त कर देते है।
अगर यह राजयोग आपकी कुंडली में बन रहा है तो आपको आपके जीवन में बोहोत मान सम्मान मिलेगा ,धन के अच्छे योग बनेंगे और किसी भी प्रकार की कमी आपके जीवन में नहीं रहेगी , यह राजयोग बोहोत ही बड़ा राजयोग है चारो दिशाओ में आपकी ख्याति यह राजयोग बना देता है।
अगर आपकी कुंडली में यह राजयोग है और बुध देव कमजोर इस्थिति में है भले ही अस्त हो कर या फिर डिग्री के अनुसार कमजोर हो कर तो आप बुध देव का पन्ना रत्न धारण कर सकते है और 4 मुखी रुद्राक्ष भी धारण कर सकते है बुध देव की पावर को बढ़ाने के लिए ,और सूर्य देव डिग्री के अनुसार कमजोर है या फिर ग्रहण दोष बन रहा है इस युति के साथ में ही तो आप सूर्य देव का रत्न माणिक्य धारण कर सकते है और 1 मुखी या 12 मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते है पर एक बात का विशेष ध्यान रखे की यह युति कुंडली के त्रिक भाव में ना बन रही हो और ना ही सूर्य देव और बुध देव में से कोई भी एक गृह नीच का हो , नहीं तो यह उपाय उलटे पड़ जाएंगे और आपको नेगेटिव रिजल्ट मिलेगा।
अगर आपको ज्योतिष का ज्ञान है और आप इन बातो को समझ पा रहे है तो ठीक है नहीं तो एक बार कुंडली का विश्लेषण करवा कर ही उपाय करे ,इससे कोई शंका वाली बात नहीं रहेगी और आपको फिर यह राजयोग सकारात्मक परिणाम देगा।

चंद्र देव का कुंडली में अच्छी स्थिति में होना बहुत आवश्यक है-It is very important for the moon god to be in a good position in the horoscope.

चंद्रदेव कुंडली में मुख्य ग्रह हैं और सबसे अधिक गति से चलने वाले ग्रह चंद्रदेव ही है यह सवा दो दिन में ही अपनी राशि बदल देते हैं और इनका कनेक्शन हमारे बॉडी में मन से है

मान लीजिए चंद्रदेव ग्रहण दोष से पीड़ित है या फिर उनकी पावर कम है डिग्री उनकी बहुत कम है या फिर सूर्यदेव से अस्त हो गए हैं या सूर्य देव के नजदीक बैठकर अमावस्या दोष बना रहे हैं या फिर केमद्रुम दोष बना रहे हैं तो ऐसी स्थिति में चंद्रदेव से रिलेटेड बहुत से दोष हमें हमारे दैनिक जीवन में दिखने लग जाते हैं जैसे मन स्थिर ना रहना किसी भी काम में एकाग्रता ना बन पाना और ऐसे में फोबिया जैसी परेशानी भी हो जाती है इसलिए चंद्र देव का कुंडली में सही होना बहुत जरूरी है

अगर हम चंद्रदेव के नियमित उपाय करते हैं तो बहुत जल्द चंद्रदेव पूर्ण रूप से सकारात्मक होकर हमें अच्छा परिणाम देना शुरू कर देते हैं जो हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्व रखता है चंद्रदेव क्योंकि हमारे मन के कारक हैं तो मन से बहुत सी चीजें जुड़ी हुई होती है किसी भी क्षेत्र में अगर हमारा मन लगेगा तो ही हम वहां कुछ अच्छा कर पाएंगे और वहां से अच्छे परिणाम प्राप्त कर पाएंगे

अगर उस क्षेत्र में हमारा मन नहीं लग रहा है तो वहां से हमें अच्छे परिणाम नहीं मिलेंगे भले ही वह हमारा परिवार हो भले हमारा कर्म हो भले व्यापार में हो या फिर नौकरी में और या फिर हमारे दैनिक दिनचर्या से जुड़ी हुई चीजें हो इसलिए चंद्रदेव को सही करना बहुत जरूरी है अन्यथा चंद्र देव के नकारात्मक परिणाम जीवन भर हमें कष्ट देते रहेंगे

आप चंद्रदेव का उपाय कीजिए बीज मंत्रों के द्वारा चंद्रदेव को सकारात्मक कीजिए शिव शंकर भोलेनाथ की पूजा कीजिए 2 मुखी रुद्राक्ष धारण कीजिए और अगर चंद्रमा कमजोर स्थिति में है और कुंडली में उनका प्लेसमेंट सही है तो मोती रत्न भी धारण कीजिए इससे चंद्रदेव सकारात्मक और बलवान होकर आपको अच्छे परिणाम देंगे

Chandradev is the main planet in the horoscope and the most moving planet is Chandradev, it changes its zodiac in just two and a half days and their connection is with the mind in our body.
Suppose Chandradev is suffering from eclipse defect or his power is low, his degree is very less or he has set from Sun God or he is making Amavasya defect by sitting near Sun God or making Kemdrum defect, then in such a situation Chandradev We start seeing many defects related to this in our daily life, such as not being stable in the mind, not being able to concentrate in any work and in such a problem like phobia, so it is very important for the moon god to be correct in the horoscope.
If we take regular measures of Chandradev, then very soon Chandradev becomes completely positive and starts giving us good results, which is very important in our life. If we feel like in any field, then only we will be able to do something good there and get good results from there.
If we are not feeling in that area, then we will not get good results from there, even if it is our family, whether it is our karma, whether it is in business or in the job and or things related to our daily routine, so to Chandradev It is very important to do right otherwise the negative results of moon god will continue to trouble us throughout our life.
You should remedy Chandradev, make Chandradev positive through Beej Mantras, worship Shiv Shankar Bholenath, wear 2 Mukhi Rudraksha and if the Moon is in a weak position and its placement in the horoscope is correct, then wear pearl gems, so that Chandradev becomes positive and strong. will give you good results

अगर आप अपने जीवन में बड़े बदलाव लाना चाहते हैं तो वैदिक ज्योतिष के माध्यम से आप यह पता करें कि आपकी कुंडली में कौन से ग्रह कमजोर है

अगर आप अपने जीवन में बड़े बदलाव लाना चाहते हैं तो वैदिक ज्योतिष के माध्यम से आप यह पता करें कि आपकी कुंडली में कौन से ग्रह कमजोर है
और कौन से ऐसे ग्रह है जो पीड़ित है कभी-कभी चंद्रदेव, ग्रहण दोष दोष से पीड़ित हो जाते हैं सूर्यदेव ग्रहण दोष से पीड़ित हो जाते हैं या फिर दूसरे ग्रह सूर्य देव से अस्त हो जाते हैं
या फिर गलत घर में बैठकर भी वह अच्छे परिणाम नहीं दे पाते हैं अगर हमें यह पता चल जाए कि हमारा कौन सा ग्रह कमजोर है या फिर पीड़ित है
तो हम उसका उपाय कर सकते हैं और उस ग्रह को 100% बलवान करके और सकारात्मक करके अच्छे परिणाम प्राप्त कर सकते हैं
अधिक मेहनत करने की बाद भी अगर हमें अच्छे परिणाम नहीं मिल रहे हैं तो इसका मतलब साफ साफ है कि हमारी कुंडली में हमारे ग्रह हमें पूरा सपोर्ट नहीं कर रहे हैं
या फिर जो ग्रह हमें अच्छे रिजल्ट देने वाले हैं वह कहीं ना कहीं कुंडली में कमजोर है इसलिए स्वयं आप ज्योतिष विज्ञान को समझिए और
अगर आप ग्रहों की स्थिति को देखना सीख गए तो आपको साफ-साफ यह चीज नजर आ जाएगी कि
आपके जीवन में जो कुछ भी हो रहा है वह ग्रहों की मजबूत और कमजोर स्थिति के कारण ही हो रहा है

If you want to bring big changes in your life, then through Vedic astrology, you can find out which planets are weak in your horoscope.
And which are the planets that are afflicted, sometimes Chandradev gets afflicted by the eclipse defect, Suryadev suffers from the eclipse defect or other planets get set by the Sun God
Or even sitting in the wrong house, they are not able to give good results if we come to know that which of our planet is weak or afflicted.

So we can remedy that and get good results by making that planet 100% strong and positive.
Even after working hard, if we are not getting good results, then it is clear that our planets are not supporting us fully in our horoscope.
Or else the planets which are going to give us good results are weak somewhere in the horoscope, so you yourself should understand the science of astrology and
If you learn to see the position of the planets, then you will clearly see this thing that
Whatever is happening in your life is happening because of the strong and weak position of the planets.