जब हम बीज मंत्र करना शुरू करते है तब हमे कुछ अनुभूतिया होती है जैसे आँखों में आंसू आना या आंखे नम हो जाना या फिर उबासी आना या ऐसा भी होता है की नींद सी आने लगती है कभी कभी तो ऐसा लगता है जैसे शरीर पर चीटिया चल रही हो या फिर शरीर में झनझनाहट होती है जैसे वाइब्रेशन हो रहे हो यह सब स्वाभाविक बाते है जो होती है क्योकि उस समय नकारात्मक ऊर्जा शरीर से बाहर निकलती है या मंत्रो की सकारात्मक शक्ति का विरोध करती है पर धीरे धीरे यह सब होना बंद हो जाता है और हमारा मन भी मंत्रो में लगता है और मंत्रो का सकारात्मक परिणाम हमारे जीवन में दिखने लगता है।
Astrologer Amit Kudwal
दान
1.किसी भी मारक ग्रह का दान उसकी दशा-अंतर्दशा में ही करें
- जिस देवता का आप दान कर रहे हैं वह उसके वार को ही करें जैसे मंगल देव का मंगलवार को शनि देव का शनिवार को बृहस्पति देव का गुरुवार को शुक्र देव का शुक्रवार को चंद्र देव का सोमवार को सूर्य देव का रविवार को और राहु और केतु देव का दान शनिवार को किया जाता है
- दान की जो लिस्ट है उस में से किसी एक वस्तु का दान आप कर सकते हैं ₹50 तक का हर सप्ताह
- दान किसी गरीब या जरूरतमंद इंसान को ही करें
बीज मंत्र के सकारात्मक परिणाम
अगर आप किसी भी देव के बीज मंत्र को करते हैं तो वह ग्रह हंड्रेड परसेंट पावरफुल हो जाएगा और उस ग्रह के आपको सकारात्मक रिजल्ट ही मिलेंगे भले वह ग्रह आपकी कुंडली में योगकारक हो या फिर मारक हो क्योंकि हमारे शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मा जी ने बाध्य किया है नौ ग्रहों को कि अगर कोई आपके बीज मंत्र का जाप करता है ,आपको नमन करता है तो उन्हें आप पोजिटिव ही रिजल्ट देंगे
सभी ग्रहों के बीज मंत्र
ॐ ब्रह्म बृहस्पतए नमः – गुरु( बृह.)
ॐ घृणि: सूर्याय नमः – सूर्य देव
ॐ बू° बुधाय नमः – बुद्धदेव
ॐ सोम सोमाय नमः – चंद्रदेव
ॐ शु° शुक्राय नमः – शुक्र देव
ॐ शं शनैश्चराय नमः – शनि देव
ॐ अं अंगारकाय नमः – मंगल देव
ॐ रा° राहवे नमः – राहु देव
ॐ के° केतवे नमः – केतु देव
बीज मंत्र विधि
किसी भी देवता के बीज मंत्र करने की विधि
1.बीज मंत्र आप कहीं भी कर सकते हैं जरूरी नहीं है कि आप घर के मंदिर में बैठकर ही बीज मंत्र का जाप करें
2.बीज मंत्र आप बैठ कर करें और किसी आसन पर बैठकर बीज मंत्र का जाप करें
3.बीज मंत्र करते समय आपका मुख उत्तर दिशा या पूर्व दिशा में होना चाहिए
- हो सके तो बीज मंत्र करते समय एक दीपक जलाएं
- किसी भी देवता के बीज मंत्र का जाप आपको 1 दिन में 108 बार ही करना है ऐसे आप कितने भी देवताओं के बीज मंत्र का जाप कर सकते हैं
- शनि देव और राहु देव के बीज मंत्र शाम 6 बजे बात करने से ज्यादा अच्छे रिजल्ट मिलते हैं और बाकी सभी ग्रहों के बीज मंत्र दिन में कभी भी कर सकते हैं शाम 6:00 बजे से पहले
- बीज मंत्र का जाप आप रुद्राक्ष की माला से कर सकते हैं रुद्राक्ष की माला ही एक ऐसी माला है जिससे आप किसी भी देवता के बीज मंत्र का जाप कर सकते हैं
- जिस देवता के बीज मंत्र का आप जाप कर रहे हैं उसे उसके वार से शुरू करें,,, जैसे सूर्य देव का रविवार से चंद्र देव का सोमवार से बृहस्पति देव का गुरुवार से मंगल देव का मंगलवार से राहु देव और केतु देव का शनिवार से इस तरह
- जब आप बीज मंत्र का जाप कर रहे हैं तो अपने पास एक गिलास या लौटे में पानी जरूर रखें और उस दिन के बीज मंत्र करने के बाद उस जल को आप ग्रहण( जल को पीना है) करें
रत्न और रुद्राक्ष के लाभ
रत्न और रुद्राक्ष धारण करने से जो कमजोर ग्रह हैं वह स्ट्रांग हो जाएंगे और जिस घर में वह बैठे हैं और जिन राशियों के ग्रह मालिक है उस से रिलेटेड आप को पॉजिटिव रिजल्ट मिलेंगे और अगर आप बीज मंत्र का जाप करते हैं तो उस ग्रह से रिलेटेड आप को पॉजिटिव ही रिजल्ट मिलेंगे भले वह ग्रह आपकी कुंडली में योगकारक हो या फिर आपकी कुंडली में मारक हो इसलिए दशा और अंतर्दशा के अनुसार बीज मंत्र के जाप करने हैं और ग्रहों को स्ट्रांग करने के लिए आपको रत्न धारण करने हैं ऐसा करने से आपके जीवन में सब कुछ पॉजिटिव हो जाएगा
रुद्राक्ष के लाभ
जिस ग्रह का आप रुद्राक्ष धारण कर रहे हैं उस ग्रह के तो आप को सकारात्मक रिजल्ट मिलेंगे ही और वह ग्रह जिस जिस घर का मालिक है उसके भी आपको सकारात्मक रिजल्ट मिलेंगे लेकिन रुद्राक्ष कोई सा भी आप धारण करें उसके कुछ ऐसे रिजल्ट होते हैं जो सदा सकारात्मक मिलते हैं जैसे रुद्राक्ष धारण करने से मन्न इस्थिर रहता है हमारी एकाग्रता बढ़ती है हमारे चारों ओर सुरक्षा चक्र निर्मित हो जाता है हमारा Aura स्ट्रांग हो जाता है और कोई भी बुरी घटना हमारे साथ घटित नहीं होती है और किसी भी व्यक्ति की नजर या फिर नजर दोष हमारे ऊपर नहीं लगता है रुद्राक्ष साक्षात् शिव शंकर भोलेनाथ का ही रूप है इसलिए रुद्राक्ष धारण करने से सबसे पहले हम मानसिक रूप से स्ट्रांग हो जाते हैं
Benefits Of Rudraksha
|| रुद्राक्ष के लाभ ||
(1). नजर दोष से बचाव होता है (2).मन स्थिर रहता है
(3). शिव भगवान का विशेष आशीष प्राप्त होता है (4).रक्तचाप संतुलित रहता है
(5). सुरक्षा चक्र बना रहता है कोई दुर्घटना नहीं होती है (6). सोच सकारात्मक रहती है
(7). रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है (8). चिंता और तनाव से मुक्ति मिलती है
(9). आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है (10). स्मरण शक्ति बढ़ती है
Silver Cap Rudraksha Mala ( 54 Beads )-5 Mukhi
सिल्वर कैप रुद्राक्ष माला में बृहस्पति देव के रुद्राक्ष लगे है और वो भी 54 दाने जो हमे सकारात्मक ऊर्जा देते है और यह माला कुंडली के मुख्या 5 घरो को सकारात्मक करने का काम करती है
Rudraksha – Effects and its Benefits | रुद्राक्ष – उत्पत्ति, प्रभाव एवं वैज्ञानिक महत्व
शास्त्रों के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति शिव शंकर भोलेनाथ के द्वारा हुई है कहा जाता है कि जब शिव शंकर भोलेनाथ ध्यान की चरम सीमाओं में थे तब उनकी आंखों से जो अश्रु गिरे उनसे रुद्राक्ष के वृक्ष की उत्पत्ति हुई और इस रुद्राक्ष के पेड़ पर लगने वाले फलों को हम रुद्राक्ष के नाम से जानते हैं
वैज्ञानिक यह प्रूफ कर चुके हैं की रुद्राक्ष के अंदर बायोइलेक्ट्रिक तरंगे होती है जो हमारे औरा को सकारात्मक करती है और हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति रुद्राक्ष धारण करता है तो कोई भी नकारात्मक ऊर्जा उसके आसपास नहीं आती है और वह बुरी नजर से भी बचा रहता है और कोई भी दुर्घटना उसके साथ घटित नहीं होती है
अगर हम विधि विधान से रुद्राक्ष धारण करते हैं तो निश्चित ही हमें रुद्राक्ष के सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं और रुद्राक्ष की सबसे अच्छी बात यह है कि इसे कोई भी व्यक्ति धारण कर सकता है और भले ही कुंडली में गृह नकारात्मक हो या सकारात्मक हो उसका रुद्राक्ष धारण किया जा सकता है वह रुद्राक्ष आपको सदा सकारात्मक परिणाम ही देगा