RUDRAKSHA ( रुद्राक्ष ) को जब एक्सरे से देखा जाता है तो कुछ इस तरह की संगरचना उसके अंदर दिखाई देती है जो फोटो में दिखाई गई है ,
Rudraksha-रुद्राक्ष
रत्न और रुद्राक्ष के लाभ
रत्न और रुद्राक्ष धारण करने से जो कमजोर ग्रह हैं वह स्ट्रांग हो जाएंगे और जिस घर में वह बैठे हैं और जिन राशियों के ग्रह मालिक है उस से रिलेटेड आप को पॉजिटिव रिजल्ट मिलेंगे और अगर आप बीज मंत्र का जाप करते हैं तो उस ग्रह से रिलेटेड आप को पॉजिटिव ही रिजल्ट मिलेंगे भले वह ग्रह आपकी कुंडली में योगकारक हो या फिर आपकी कुंडली में मारक हो इसलिए दशा और अंतर्दशा के अनुसार बीज मंत्र के जाप करने हैं और ग्रहों को स्ट्रांग करने के लिए आपको रत्न धारण करने हैं ऐसा करने से आपके जीवन में सब कुछ पॉजिटिव हो जाएगा
रुद्राक्ष के लाभ
जिस ग्रह का आप रुद्राक्ष धारण कर रहे हैं उस ग्रह के तो आप को सकारात्मक रिजल्ट मिलेंगे ही और वह ग्रह जिस जिस घर का मालिक है उसके भी आपको सकारात्मक रिजल्ट मिलेंगे लेकिन रुद्राक्ष कोई सा भी आप धारण करें उसके कुछ ऐसे रिजल्ट होते हैं जो सदा सकारात्मक मिलते हैं जैसे रुद्राक्ष धारण करने से मन्न इस्थिर रहता है हमारी एकाग्रता बढ़ती है हमारे चारों ओर सुरक्षा चक्र निर्मित हो जाता है हमारा Aura स्ट्रांग हो जाता है और कोई भी बुरी घटना हमारे साथ घटित नहीं होती है और किसी भी व्यक्ति की नजर या फिर नजर दोष हमारे ऊपर नहीं लगता है रुद्राक्ष साक्षात् शिव शंकर भोलेनाथ का ही रूप है इसलिए रुद्राक्ष धारण करने से सबसे पहले हम मानसिक रूप से स्ट्रांग हो जाते हैं
Benefits Of Rudraksha
|| रुद्राक्ष के लाभ ||
(1). नजर दोष से बचाव होता है (2).मन स्थिर रहता है
(3). शिव भगवान का विशेष आशीष प्राप्त होता है (4).रक्तचाप संतुलित रहता है
(5). सुरक्षा चक्र बना रहता है कोई दुर्घटना नहीं होती है (6). सोच सकारात्मक रहती है
(7). रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है (8). चिंता और तनाव से मुक्ति मिलती है
(9). आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है (10). स्मरण शक्ति बढ़ती है
Silver Cap Rudraksha Mala ( 54 Beads )-5 Mukhi
सिल्वर कैप रुद्राक्ष माला में बृहस्पति देव के रुद्राक्ष लगे है और वो भी 54 दाने जो हमे सकारात्मक ऊर्जा देते है और यह माला कुंडली के मुख्या 5 घरो को सकारात्मक करने का काम करती है
Rudraksha – Effects and its Benefits | रुद्राक्ष – उत्पत्ति, प्रभाव एवं वैज्ञानिक महत्व
शास्त्रों के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति शिव शंकर भोलेनाथ के द्वारा हुई है कहा जाता है कि जब शिव शंकर भोलेनाथ ध्यान की चरम सीमाओं में थे तब उनकी आंखों से जो अश्रु गिरे उनसे रुद्राक्ष के वृक्ष की उत्पत्ति हुई और इस रुद्राक्ष के पेड़ पर लगने वाले फलों को हम रुद्राक्ष के नाम से जानते हैं
वैज्ञानिक यह प्रूफ कर चुके हैं की रुद्राक्ष के अंदर बायोइलेक्ट्रिक तरंगे होती है जो हमारे औरा को सकारात्मक करती है और हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति रुद्राक्ष धारण करता है तो कोई भी नकारात्मक ऊर्जा उसके आसपास नहीं आती है और वह बुरी नजर से भी बचा रहता है और कोई भी दुर्घटना उसके साथ घटित नहीं होती है
अगर हम विधि विधान से रुद्राक्ष धारण करते हैं तो निश्चित ही हमें रुद्राक्ष के सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं और रुद्राक्ष की सबसे अच्छी बात यह है कि इसे कोई भी व्यक्ति धारण कर सकता है और भले ही कुंडली में गृह नकारात्मक हो या सकारात्मक हो उसका रुद्राक्ष धारण किया जा सकता है वह रुद्राक्ष आपको सदा सकारात्मक परिणाम ही देगा