शास्त्रों के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति शिव शंकर भोलेनाथ के द्वारा हुई है कहा जाता है कि जब शिव शंकर भोलेनाथ ध्यान की चरम सीमाओं में थे तब उनकी आंखों से जो अश्रु गिरे उनसे रुद्राक्ष के वृक्ष की उत्पत्ति हुई और इस रुद्राक्ष के पेड़ पर लगने वाले फलों को हम रुद्राक्ष के नाम से जानते हैं
वैज्ञानिक यह प्रूफ कर चुके हैं की रुद्राक्ष के अंदर बायोइलेक्ट्रिक तरंगे होती है जो हमारे औरा को सकारात्मक करती है और हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति रुद्राक्ष धारण करता है तो कोई भी नकारात्मक ऊर्जा उसके आसपास नहीं आती है और वह बुरी नजर से भी बचा रहता है और कोई भी दुर्घटना उसके साथ घटित नहीं होती है
अगर हम विधि विधान से रुद्राक्ष धारण करते हैं तो निश्चित ही हमें रुद्राक्ष के सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं और रुद्राक्ष की सबसे अच्छी बात यह है कि इसे कोई भी व्यक्ति धारण कर सकता है और भले ही कुंडली में गृह नकारात्मक हो या सकारात्मक हो उसका रुद्राक्ष धारण किया जा सकता है वह रुद्राक्ष आपको सदा सकारात्मक परिणाम ही देगा