ज्योतिष शास्त्र में रत्नों का वर्णन किया गया है और उपाय के रूप में रत्नों से सकारात्मक परिणाम प्राप्त किया जा सकता है अगर कोई भी व्यक्ति विधि विधान से रत्न धारण करता है तो निश्चित ही उसे उसका सकारात्मक परिणाम प्राप्त होता है लेकिन ऐसे ही कोई भी रत्न अगर हम धारण कर लेते हैं तो उसके हमें नकारात्मक परिणाम भी मिल सकते हैं क्योंकि रत्न का एक ही काम है कि जिस भी ग्रह का रत्न आपने धारण किया है वह उसकी ऊर्जा को बढ़ा देगा और अगर वह ग्रह जिसका रत्न आप धारण कर रहे हैं वह कुंडली में नकारात्मक हुआ मतलब मारक ग्रह हुआ तो मारक ग्रह की उर्जा भर जाएगी और उस ग्रह से आपको नकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे
इसलिए रत्न धारण करने से पहले कुंडली विश्लेषण करवाना बहुत आवश्यक है क्योंकि रत्न कौन सा हमें अच्छा परिणाम देगा इसके लिए हमें बहुत सी चीजों का ध्यान रखना होता है जैसे की कुंडली में वह ग्रह किस घर में बैठा है और चलित कुंडली में वह ग्रह किस घर में जा रहा है और भी ऐसी बातें देखनी होती है जिसके आधार पर यह निश्चित हो जाता है कि यह ग्रह कुंडली में कमजोर है और उसका रत्न धारण करना आवश्यक है क्योंकि जब उसका रत्न हम धारण करेंगे तो उस ग्रह की पावर बढ़ेगी और वह हमें सकारात्मक परिणाम देने में सक्षम हो जाएगा
रत्न धारण करने से पहले उसकी गुणवत्ता को भी देखना होता है और जो भी हम रत्न धारण करें वह विधि विधान से धारण करें और प्रयास करें कि हम मांस का सेवन ना करें और जितनी भी नकारात्मक चीजें होती है उनसे दूर रहें तो ही हमें रत्न रुद्राक्ष और मंत्रों का सकारात्मक परिणाम मिल पाएगा अन्यथा हम ज्योतिष के उपाय करने के बावजूद भी नकारात्मक परिस्थितियों से ही गिरे रहेंगे